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Sunday, December 26, 2010

लालगंगा की राह में रोड डिवाईडर रोड़ा


राजधानी में मॉल कल्चर की शुरुआत करने वाला लालगंगा शॉपिंग मॉल इन दिनों ग्राहकों की बांट जोहता नजर आ रहा है। हालांकि ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट में ग्राहक पर्याप्त संख्या में पहुंचते हैं, लेकिन बाकी तलों में स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती। वर्ष 2003 में जब यह बनकर तैयार हुआ, तब यह शहर का इकलौता मॉल था और यहां आने वाले ग्राहकों की संख्या में बीतते वक्त के साथ बढ़ोतरी हुई, लेकिन पिछले कुछ समय से इसमें कमी आई है। लालगंगा के ठीक सामने जीई रोड पर डिवाइडर होने के कारण वाहनों को घड़ी चौक या राज टाकीज से घुमाकर लाना पड़ता है, जिस कारण जो लोग यहां आना चाहते हैं वो भी असुविधाजनक होने के कारण आने से बचते हैं। दूसरा, यहां आने वालों के लिए वाहन पार्किंग हमेशा से ही समस्या रही है। जरूरत के हिसाब से पार्किंग न होने के कारण भी समस्या बढ़ती जा रही है। हालांकि बेसमेंट पार्किंग और मॉल के बाहर भी पार्किंग सीमा दी गई ह,ै लेकिन वह अपर्याप्त है। इस संबंध में लालगंगा बिल्डर्स के ललित पटवा बताते हैं कि हमें व्यावहारिक नजरिए से सोचने की जरूरत है। पार्किंग के बारे में उनका मानना है कि इसके लिए जितना कुछ कर सकते हैं, वो किया जाता है। रोड डिवाइडर पर भी उनका यही मानना है कि यातायात व्यवस्था के सुगम परिचालन हेतु कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पडता है।
शॉपिंग मॉल के तौर पर अपनी शुरुआत करने वाला लालगंगा मॉल आज शॉपिंग सेन्टर की राह पर निकल गया है। आज शहर में कई नए मॉल खुल गए हैं जो कि अधिक सर्वसुविधायुक्त हैं। इसके बावजूद लालगंगा का महत्व कम नहीं हुआ है। यहां इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे कम्प्यूटर, मोबाइल आदि का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है, साथ ही दो सौ से अधिक दुकानें व कार्यालय भी यहां हैं जिनमें कई बैंक व ऑफिस शामिल है। मोबाइल विक्रेता हर्ष बताते हैं कि वह यहां पिछले छह वर्षों से दुकान चला रहे हैं और उनके ग्राहक बंध गए हैं।
वह कहते हैं कि अन्य काम्पलेक्स की तुलना में यहां की स्थिति कहीं बेहतर है, साफ-सफाई की भी स्थिति सुधरी है। सुरक्षा हेतु गार्डों की भी व्यवस्था है। प्रापर्टी डीलिंग से जुड़े एक व्यवसायी ने बताया कि कुछ समस्याओं के लिए जागरूकता की कमी व कुछ के लिए सीमित स्थान समस्या है। हालांकि उनका मानना है कि स्थिति पहले से काफी बेहतर है।

कचरे से फैलती है दुर्गंध
लालगंगा मॉल के बगल से मंत्रालय जाने वाली सड़क में कचरा फेंकने से वहां गंदगी फैलती है, जिससे मॉल की सुन्दरता पर तो बट्टा लगता ही है, आसपास के दुकानदारों को भी असुविधा होती है। इस संबंध में लालगंगा प्रबंधन का कहना है कि सड़क किनारे ठेला लगाने वाले कचरा वहां फेंक देते हैं, निगम द्वारा वहां कई बार सफाई कराने के बावजूद स्थिति दोबारा वैसी हो जाती है। ललित पटवा कहते हैं कि कई बार ठेलों व गंदगी फैलाने वालों को मना किया गया, लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं होता। मॉल के उस लाइन में पड़ने वाले दुकानदारों और कचरा फैलाने वालों के बीच कई बार विवाद की स्थिति भी बन जाती है।

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