रायपुर में ई बैंकिंग के जरिये डेढ़ लाख रुपये की ठगी के अहम् खुलासे के बाद बैंक ग्राहकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गयी हैं. बैंकिंग सुविधाओं में सबसे अधिक प्रचलन डेबिट कार्ड का है, ज़रा सी भी लापरवाही से इसमें जोखिम की संभावना सबसे अधिक रहती है, इसे संभाल कर रखने की जिम्मेदारी उपयोगकर्ताओं की है. राजधानी के 120 से अधिक एटीएम में भी आप उच्च सुरक्षा नियमों का पालन करके अपनी मेहनत की कमाई को डूबने से बचा सकते हैं .
ई-बैंकिंग के जरिए धोखाधड़ी के अहम् खुलासे के बाद उन बैंक ग्राहकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं, जो ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। बैंकिंग सुविधाओं में सबसे ज्यादा प्रचलन एटीएम कार्ड का है, इसलिए जरा सी लापरवाही में इसमें जोखिम की सम्भावना अधिक रहती है। जहां एक ओर यह एक सुविधा है, वहीं दूसरी तरफ इसे सम्भालकर प्रयोग करने की जिम्मेदारी ग्राहकों पर है।
इन दिनों एटीएम कार्ड से जुड़ी कई प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें जालसाज ग्राहकों की कम जानकारी का फायदा उठाकर उनके खातों में जमा रकम डकार रहे हैं। राजधानी में विभिन्न बैंकों के 120 से अधिक एटीएम मशीन है, जिनमें न्यूनतम सुरक्षा जैसे गुप्त कैमरा, गार्ड आदि की सुविधा होने के बावजूद लोग अपने खातों की सुरक्षा हेतु आश्वस्त नहीं हैं, क्योंकि एटीएम मशीन के साथ यह डेबिट कार्ड के तौर पर भी इस्तेमाल हो रहे हैं जिसमें बिना नकदी आहरण किए खरीददारी की जा सकती है। मशीन की गड़बड़ी या अपनी स्वयं की लापरवाही की वजह से भी उपयोगकर्ताओं को परेशान होना पड़ता है।
भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक एटीएम का प्रयोग करते समय अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इसके गलत इस्तेमाल से बचा जा सकता है, क्योंकि रकम डूबने के बाद शिकायत करने पर भी बैंक किसी प्रकार की ठोस मदद करने की स्थिति में नहीं होते। एटीएम प्रयोग करते समय यह जांच लें कि कोई आपका पिन नम्बर न देख रहा हो, कार्ड विवरण जैसे कार्ड नम्बर और सीवीवी नम्बर किसी अन्य को न बताएं। कुछ मशीनों में कार्ड डालने की जगह उसको स्वाइप कराना होता है, ऐसी मशीनें अक्सर ट्रान्जैक्शन पूरा करने के बाद अगले लेन-देन के बारे में पूछती हैं जिसे 'नहीं' दबाकर पूरा करें। अगर आप अपने एटीएम कम-डेबिट कार्ड से खरीददारी कर रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि आपके कार्ड को एक बार से अधिक स्वाइप न किया जाए। अगर ऐसा होता है तो इसकी जानकारी लेते हुए रसीद जरूर प्राप्त करें। कार्ड को अपनी नजर में ही रखें क्योंकि हो सकता है आपके द्वारा दी गई जानकारी का कोई दूसरा इस्तेमाल कर ले। कार्ड के पीछे सीवीवी नम्बर होता, इसको अपने पास सुरक्षित लिखकर इसे कार्ड से मिटा दें। तीन अंकों का सीवीवी बहुत अहम् होता है, इसकी मदद से आपकी जानकारी और कार्ड के बगैर भी कोई इंटरनेट से खरीददारी कर सकता है। शहर में अब तक घटी घटनाओं में से अधिकतर को इंटरनेट के माध्यम से ही अंजाम दिया गया है। जहां तक सम्भव हो साईबर कैफे का इस्तेमाल ऑनलाइन पेमेन्ट हेतु न करें, क्योंकि वहां से आपके निजी विवरण लीक होने का खतरा सबसे अधिक होता है। कार्ड खो जाने पर संबंधित बैंक शाखा या ग्राहक सेवा केन्द्र जाकर अपना कार्ड तुरन्त बंद करा दें, इसकी सूचना पुलिस को भी दी जा सकती है।
इन दिनों एटीएम कार्ड से जुड़ी कई प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें जालसाज ग्राहकों की कम जानकारी का फायदा उठाकर उनके खातों में जमा रकम डकार रहे हैं। राजधानी में विभिन्न बैंकों के 120 से अधिक एटीएम मशीन है, जिनमें न्यूनतम सुरक्षा जैसे गुप्त कैमरा, गार्ड आदि की सुविधा होने के बावजूद लोग अपने खातों की सुरक्षा हेतु आश्वस्त नहीं हैं, क्योंकि एटीएम मशीन के साथ यह डेबिट कार्ड के तौर पर भी इस्तेमाल हो रहे हैं जिसमें बिना नकदी आहरण किए खरीददारी की जा सकती है। मशीन की गड़बड़ी या अपनी स्वयं की लापरवाही की वजह से भी उपयोगकर्ताओं को परेशान होना पड़ता है।
भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक एटीएम का प्रयोग करते समय अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इसके गलत इस्तेमाल से बचा जा सकता है, क्योंकि रकम डूबने के बाद शिकायत करने पर भी बैंक किसी प्रकार की ठोस मदद करने की स्थिति में नहीं होते। एटीएम प्रयोग करते समय यह जांच लें कि कोई आपका पिन नम्बर न देख रहा हो, कार्ड विवरण जैसे कार्ड नम्बर और सीवीवी नम्बर किसी अन्य को न बताएं। कुछ मशीनों में कार्ड डालने की जगह उसको स्वाइप कराना होता है, ऐसी मशीनें अक्सर ट्रान्जैक्शन पूरा करने के बाद अगले लेन-देन के बारे में पूछती हैं जिसे 'नहीं' दबाकर पूरा करें। अगर आप अपने एटीएम कम-डेबिट कार्ड से खरीददारी कर रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि आपके कार्ड को एक बार से अधिक स्वाइप न किया जाए। अगर ऐसा होता है तो इसकी जानकारी लेते हुए रसीद जरूर प्राप्त करें। कार्ड को अपनी नजर में ही रखें क्योंकि हो सकता है आपके द्वारा दी गई जानकारी का कोई दूसरा इस्तेमाल कर ले। कार्ड के पीछे सीवीवी नम्बर होता, इसको अपने पास सुरक्षित लिखकर इसे कार्ड से मिटा दें। तीन अंकों का सीवीवी बहुत अहम् होता है, इसकी मदद से आपकी जानकारी और कार्ड के बगैर भी कोई इंटरनेट से खरीददारी कर सकता है। शहर में अब तक घटी घटनाओं में से अधिकतर को इंटरनेट के माध्यम से ही अंजाम दिया गया है। जहां तक सम्भव हो साईबर कैफे का इस्तेमाल ऑनलाइन पेमेन्ट हेतु न करें, क्योंकि वहां से आपके निजी विवरण लीक होने का खतरा सबसे अधिक होता है। कार्ड खो जाने पर संबंधित बैंक शाखा या ग्राहक सेवा केन्द्र जाकर अपना कार्ड तुरन्त बंद करा दें, इसकी सूचना पुलिस को भी दी जा सकती है।
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.
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