जल्दी ही भारतीय वायुसेना को दुनिया के सबसे घातक बमों में से एक क्लस्टर बम हासिल हो जाएंगे। अमरीकी प्रशासन के मुताबिक, उसने भारत को 512 सीबीयू-195 बमों की बिक्री के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
अमरीका की टैक्सट्रॉन सिस्टम्स कॉर्पोरेशन के साथ भारत का करीब 26 करोड़ डॉलर का रक्षा सौदा हुआ है। यह सौदा अमरीका के फॉरेन मिलिट्री सेल्स (एफएमएस) प्रोग्राम के तहत हुआ।
वर्ष 2003 में इराक युद्ध के दौरान क्लस्टर बमों की क्षमता का परीक्षण हो चुका है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय वायुसेना इन बमों का इस्तेमाल सुखोई एसयू-30 एमकेआई में कर सकती है। इन बमों की बिक्री के लिए भारत ने पहली बार 2008 में आग्रह किया था। भारत को इन बमों की बिक्री का समर्थन पेंटागन (अमरीकी रक्षा मुख्यालय) ने भी किया था। उसकी ओर से अमरीकी कांग्रेस को बताया गया था कि इन बमों से भारत की रक्षा क्षमता में वृद्धि होगी। युद्ध के दौरान जमीन पर बख्तरबंद वाहनों, टैकों आदि को भारत प्रभावी तरीके नष्ट कर सकता है।
आधे टन वजनी क्लस्टर बम
एक क्लस्टर बम का आधा टन तक होता है। इसका संचालन पूरी तरह कंप्यूटर से नियंत्रित होता है। इन बमों में सक्रिय लेजर सेंसर होते हैं। एक क्लस्टर बम से जमीन पर फिक्स या मूविंग कई लक्ष्यों को एक साथ भेदा जा सकता है। इन बमों के लिए जो वारहैड्स अमरीका भारत को दे रहा है, वे एक बार में 10 बम दाग सकते हैं। इनके वारहैड्स पर राडार लगे होते हैं जो सटीक लक्ष्य भेदने में मददगार होते हैं।
रक्षा परिवहन विमान 16 को मिलेगा
भारत को पहला स्टेट ऑफ द आर्ट सी-130 जे रक्षा परिवहन विमान 16 दिसंबर को मिल जाएगा। इस विमान की निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन की ओर से वाशिंगटन में जारी बयान में यह जानकारी दी गई। बयान के मुताबिक, पहले दो विमान 2011 की शुरुआत में, अगले दो गर्मियों की शुरुआत में और शेष दो विमान गर्मियों के अंत तक अगले साल भेज दिए जाएंगे।
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