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Sunday, December 12, 2010

मोबाइल टॉवर सीलिंग से उपभोक्ता हलाकान


बोलने से बच रहीं मोबाइल कंपनियां
पहले भी चली थी सीलिंग कार्रवाई
मोबाइल कंपनियों और नगर निगम के बीच जारी रस्साकशी का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतान पड़ रहा है। तीन दिन से अवैध मोबाइल टॉवरों के खिलाफ जारी कार्रवाई से कार्य कर रहे टॉवरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि एक टॉवर से पांच हजार मोबाइल कनेक्शन जुड़े होते हैं, चिन्हित किए गए अवैध टावरों की संख्या 150 से अधिक होने के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। इससे पहले फरवरी में भी निगम ने मोबाइल कंपनियों के अवैध टॉवरों के खिलाफ अभियान चलाया था। निर्धारित मानकों को अनदेखा कर कंपनियां कहीं भी अपने टॉवर लगा देती हैं, साथ ही सुरक्षा निर्देशों का भी ठीक से पालन नहीं किया जाता।
इस होड़ में प्रायवेट मोबाइल कंपनियां ही नहीं, बल्कि सरकारी कंपनी बीएसएनल ने भी आवश्यक दिशा-निर्देशों की धाियां उड़ायी है। आम उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानी का हवाला देकर जब एक निजी मोबाइल कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी से सम्पर्क साधा गया तो उन्होंने सीधी जानकारी देने से बचते हुए इस संबंध में अपने क्षेत्रीय कार्यालय से जानकारी मंगाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। वहीं जानकारों का मानना है कि इस कार्रवाई से टेलीकॉम कंपनियों में हड़कम्प मचा हुआ है। स्थिति सामान्य होने में अभी कितना वक्त लगेगा, मोबाइल उपभोक्ताओं की दिक्कतें फिलहाल बढ़ गई हैं। संतोषी नगर निवासी संतोष गुप्ता ने बताया कि उनके इलाके में सिग्नल कभी-कभी बिल्कुल ही गायब हो जाता है, जिससे उनको बात करने में काफी दिक्कत हो रही है। ऐसी ही स्थिति बहुत से अन्य मोबाइल उपभोक्ताओं की भी है।



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