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Tuesday, October 26, 2010

सलमान की 'दबंगता' ने किया आकर्षित


छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की दसवीं वर्षगांठ में राज्योत्सव के पहले दिन लोगों का भारी हुजूम साइंस कॉलेज मैदान में उमड़ पड़ा

फिल्म अभिनेता सलमान खान को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ आयोजन स्थल पर जमा थी, उनके मंच पर आते ही सारा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अतिउत्साह में कई दर्शकों ने सीटी बजाकर भी अपने चहेते स्टार का अभिनंदन किया। मंच का संचालन टीवी कलाकार कविता कौशिक कर रही थी इसके अलावा गायिका श्वेता पंडित ने एक के बाद एक कई गीत प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। अभिनेत्री स्याली भगत ने भी कई सुपरहिट गानों में डांस कर उपस्थित जनसमूह की तालियां बटोरी।


राज्योत्सव के उद्धाटन समारोह के बाद छुयी रंग बिरंगी आतिशबाजी से आसमान नहा उठा। लगभग पंद्रह मिनट तक चली आतिशबाजी ने आसमान में अद्भुत छटा बिखेर दी। इसके तुरंत बाद कार्यक्रमों के लिए बनाए गए अलग मंच में टीवी कलाार कविता कौशिक मंच संचालन के लिए प्रस्तुत हुई। उन्होंने अपन जानी पहचानी पुलिस सब इंस्पेक्टर वाले किरदार में जैसे ही यह कहा कि आपके बीच एक और 'दबंग' सब इंस्पेक्टर यानि की सलमान खान आ रहे हैं, तो वहां मौजूद भीड़ में सभी की निगाहें मंच पर टिक गई। सलमान ने स्टेज पर आते ही छत्तीसगढ़ वासियों का हाथ उठाकर अभिनंदन किया, लोगों ने भी उनका दिल खोकर स्वागत किया। सलमान ने कहा कि पहली बार रायपुर आए है और यहां आकर उन्हें बहुत खुशी हुई है। कविता जी के आग्रह पर उन्होंने फिल्म वान्टेड का मशहूर डायलॉग ''एक बार मैंने कमिटमेंट कर दिया तो फिर मैं अपने आप की भी नहीं सुनता'' कहकर लोगों में रोमांच पैदा कर दिया। इस 'दबंग' खान ने अपने अंदाज में अपनी हालिया फिल्म दबंग के भी डायलॉग प्रस्तुत किया। सफेद शर्ट और जीन्स पैन्ट पहनकर आए अभिनेता ने दबंग स्टाइल में बेल्ट पर हाथ रखकर कुछ ठुमके भी लगाए। सलमान खान अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते दर्शकों के बीच कम ही समय रहे, इससे लोगों में मायूसी भी दिखी। लेकिन उसकी भरपाई करते हुए गायिका श्वेता पंडित ने साथी कलाकारों के साथ 'सुनो गौर से दुनिया वालों' गीत में डांस प्रस्तुत किया। श्वेता ने लगातार स्टेज सॉन्ग देते हुए ये मेरा दिल प्यार का दीवाना, मुन्नी बदनाम हुयी, यू माई लव समेत कई गीतों पर डॉन्स प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में एक और आकर्षण पूर्व मिस इंडिया और अभिनेत्री स्याली भगत रहीं। फिल्म 'द ट्रेन' के गाने वो अजनबी के साथ उन्होंने स्टेज पर इन्ट्री की और रात के ढ़ाई बजे, जय हो, जवानी जाने मन समेत कई गानों में ग्रुप डांस पेश किया। रंग बिरंगी फोकस लाइट में चमकदार परिधान पहने डांस कलाकारों ने वहां उपस्थित जनसमूह को पूरी तरह सराबोर कर दिया। हास्य कलाकार जिम्मी मोसेस ने फिल्मी कलाकारों की नकल के साथ लोगों को खूब लोटपोट किया। उन्होंने शाहरूख खान, सलमान, अमिताभ, सिध्दू समेत अमन वर्मा, बाबा रामदेव की मिमिक्री कर दर्शकों को गुदगुदाया। साथ ही राज कपूर, देवानंद, ऋतिक रोशन, अमिताभा बच्चन सावन में किस तरह से पतंग उड़ाएंगे इसका काल्पनिक हास्य प्रस्तुतिकरण भी किया।
कार्यक्रम शुरू होने से काफी पहले मैदान खचाखच भर गया था। सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। सलमान खान को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे लेकिन उनकी उपस्थिति मंच पर कुछ देर के लिए ही रही जिससे लोगों को मायूसी हाथ लगी वहीं बहुत से लोगों को प्रवेश पास न मिलने के कारण कार्यक्रम से महरूम रहना पड़ा। हालांकि शाम तक लोग पास की व्यवस्था करने में लगे रहे।
विमानतल में चली प्रशंसको पर लाठी
सिने स्टार सलमान खान की एक झलक पाने को बेकरार प्रशंसकों को आज देर शाम माना विमानतल पर पुलिस लाठी की मार झेलना पड़ा। इससे विमानतल में अफरा-तफरी मच गई थी। बताया गया है कि फिल्म अभिनेता सलमान खान जैसे ही देर शाम चार्टर विमान से विमानतल पर उतरे प्रशंसकों में जोश छा गया। उनके विमानतल से बाहर निकलते ही प्रशंसक कार के पीछे दौड़ लगा दी। लिहाजा सुरक्षा और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस ने प्रशंसकों पर लाठियां लहरा दी तथा दौडा-दौड़ा कर पीटा। इससे प्रशंसकों में काफी रोष है तथा कुछ को मामूली चोटें आई है।

ट्रैफिक भार ने रोकी गाड़ियों की रफ्तार
राज्योत्सव के चलते आज जीई रोड पर गाड़ियों का तांता लग गया। कार्यक्रम स्थल जाने वाले इस मार्ग में ट्रैफिक भार इतना बढ़ गया कि पुलिस प्रशासन देर रात तक यातायात दुरूस्त करने में लगा रहा। रोड ब्लॉक जैसी स्थिति निर्मित होने से सभी गाड़ियां एक-दूसरे के पीछे रेंगते हुए चल रही थी। लोगों को इससे भारी असुविधा हुई साथ ही प्रशासन की पूर्व कवायद के बावजूद अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ी। साइंस कॉलेज मार्ग पर रोड के दोनों और बहुत सी गाड़ियां पार्क कर देने के कारण भी जाम की स्थिति बनी। लोगों की मजबूरी का फायदा ऑटो चालकों ने ज्यादा किराया वसूल कर उठाया और खूब चांदी काटी।

श्वेता के गीतों पर थिरके लोग
गायिका श्वेता पंडित ने यूं तो बहुत से सुपरहिट गाने गाए है पर उनका सीधा दीदार आज राज्योत्सव के मौके पर राजधानीवासियों को मिला। उनके प्रस्तुतिकरण से लोग इतना प्रभावित हुए कि कदम खुद को थिरके बिना नहीं रोक सके। श्वेता ने हालिया फिल्मों के गानों के अलावा कई मशहूर गानों पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने इस मौके पर कहा कि लोगों द्वारा दिया गया प्यार उन्हें यहां तक खींच लाया। वादा किया कि इसी तरह अपना बेहतर प्रदर्शन करती रहेंगी

सलमान को 35 साल पुराने दोस्त मिले

सलमान खान ने राज्य वासियों को दस साल पूरा होने की बधाई दी। उन्होंने कहा कि रायपुर में उनके बचपन के दो दोस्तों से भेंट हुई। आईजी मुकेश गुप्ता और सुदीप बछावत उनके साथ ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में पढ़ते थे।

दोनों से ही वे 35 सालों बाद रायपुर में मिले।इसके लिए छग को धन्यवाद दिया। सलमान ने छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया कहकर दर्शकों से तालियां बटोरी।

Sunday, October 24, 2010

त्यौहार में खरीददारी की धूम , बाजार की रौनक बढ़ी



दीपावली की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, बाजार में खरीददारों की गहमा-गहमी बढ़ती जा रही है। बाजार उत्पादों की लंबी श्रृंखला के साथ सज गए हैं और राहगीरों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। राजधानी वासियों को अब पहले की अपेक्षा खरीददारी के कई बेहतर विकल्प मिल चुके है जहां से वह अपनी पसंद चुन सकते हैं। लोगों का रूझान गहनें, कपड़ों, वाहन के अलावा कई बड़े बजट के उत्पादों की ओर भी बढ़ा है, वहीं शहर की दुकानें और शो रूम लोगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए नए-नए आईटम पेश कर ऑफरों से लुभा रहे हैं।
शायद ही ऐसी कोई कंपनी हो जिसने अपने उत्पादों पर ऑफर की घोषणा न की हो, ऑफरों से सजे शहर भर के होर्डिंग्स तो यही इशारा करते हैं कि बाजार इन दिनों ऑफरों से पटा पड़ा है। खरीददारी के इस मौसम में शहर के शॉपिंग मॉल्स भी बाजारों से पीछे नहीं हैं, कुल चार माल्स में लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, एक ही स्थान पर विविध प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध होने के कारण लोगों का रूझान बढ़ा है। बहुत सी कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट की खरीद पर स्क्रैच कार्ड, डिस्काउन्ट ऑफर, कैश बैक, उपहार योजना समेत कई प्रकार की स्कीमों की झड़ी लगा दी है, वहीं कुछ प्रोडक्ट पर निश्चित गिफ्ट वाउचर भी प्रत्येक ग्राहक को दिए जा रहे हैं। सिटी मॉल में खरीददारी करने आयी रक्षा सिंह कहती हैं कि आज छुट्टी होने के कारण यहां आयी हैं और त्यौहार के लिए बहुत सारी खरीददारी करके जायेंगी, वहीं बच्चों की तो इस मौसम में सबसे ज्यादा चल रही है।
त्यौहार को लेकर उनके मन में अधिक उत्सुकता है, अपने मम्मी पापा के साथ आए दस वर्षीय अभय का कहना है कि वह इस दीवाली में नए कपड़े और बहुत सारे पटाखे खरीदेंगे। इस सबके बीच भला महिलाएं कैसे पीछे रह सकती हैं, खरीददारी करने में यह खासी दिलचस्पी ले रही हैं। आभूषण, कपड़े की दुकानों के अलावा त्यौहार के लिए आवश्यक चीजों की खरीददारी भी इनके द्वारा खूब की जा रही है। सदर बाजार में आभूषण खरीदने आयी श्रीमती बिमलेश का कहना है कि ज्वैलरी की दुकानों में इस बार गहनों की बहुत सी डिजाइन्स आयी हैं जो उन्हें लुभा रही हैं लेकिन वह अपने बजट के अनुसार कोई अच्छा सा डिजाइन चुनेंगी। पंडरी कपड़ा मार्केट, मालवीय रोड, जयस्तम्भ समेत शहर के सभी बाजारों में लोग पहुंच रहे हैं। मालवीय रोड स्थित एक साड़ी विक्रेता ने बताया कि उनके यहां तीन सौ से लेकर पंद्रह हजार रुपए तक की साड़ियां उपलब्ध हैं और रोजाना साड़ियों की अच्छी बिक्री हो रही है, साथ ही वह हर खरीद पर दस से लेकर 35 फीसदी तक की छूट इस फेस्टिवल सीजन में दे रहे हैं। वहीं यूथ्स के लिए भी बाजार ने अपनी बाहें फैला रखी है। उनको ध्यान में रखकर जीन्स, शर्ट, टीशर्ट समेत सभी कैजुअल और फॉर्मल कपड़ों की रेन्ज उपलब्ध है।
कपड़ों के अलावा इलेक्ट्रानिक उपकरणों की खरीद का बाजार भी इन दिनों गर्म है। टीवी, वाशिंग मशीन, फ्रिज, कम्प्यूटर समेत बहुत सी वस्तुओं पर निर्माता कंपनियों ने आकर्षक ऑफर दे रखे हैं। खरीददारी के अलावा बहुत से लोग शो रूम में प्रोडक्ट की जानकारी लेने भी पहुंच रहे हैं जिसमें नौकरी पेशा लोगों के अलावा स्ट्डेन्स भी शामिल हैं, इनके द्वारा लैपटॉप, कैमरा आदि की विस्तार पूर्वक जानकारी ली जा रही है।
शहर में वाहन पार्किंग की समस्या भले ही दिनों दिन विकराल होती जा रही हो, लेकिन ऑटो मोबाइल शो रूम में पहुंचने वाले लोग बेफिक्री से नए मॉडल्स की जानकारी लेकर खरीददारी कर रहे हैं, हो भी क्यों न आखिर वाहनों के सभी मॉडल्स में चल रही स्कीमें लोगों के बजट में आ रही है। अपने बेटे के लिए बाइक खरीदने आए अमर सिंह बताते हैं कि वह आज ही मोटर बाइक लेकर जा रहे हैं। इसके अलावा चौपहिया वाहन खरीदने वाले भी जानकारी लेने पहुंच रहे हैं। वाहन निर्माता भी इस मौके को पूरी तरह से भुना लेना चाहते है इसके लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दीपावली के बारे में कहा जाता है कि लक्ष्मी पूजन से घर में लक्ष्मी आती है वहीं बाजार के रूख को देखकर बहुत से लोग यह कहने से भी नहीं चुके कि यहां तो लक्ष्मी जेब से जा रही है।

Tuesday, October 19, 2010

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना, मेला स्थल बना साइंस कॉलेज मैदान


राजधानी रायपुर में सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए मैदान न होने का खामियाजा साइंस कॉलेज को भुगतना पड़ रहा है, राज्योत्सव समेत साल भर जितने भी सार्वजनिक उत्सव शहर में आयोजित होते हैं

उनमें से 95 फीसदी कार्यक्रम आयोजन साइंस कॉलेज मैदान में होते हैं। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार शैक्षणिक मैदानों का अन्य गतिविधियों में उपयोग पूरी तरह वर्जित है, इसी आदेश के आधार पर शहर की महापौर डॉ. किरणमयी नायक ने अभी हाल ही में राष्ट्रीय सेवक संघ को सप्रे शाला मैदान देने से मना कर दिया था हालांकि छुट्टी का हवाला देते हुए बाद में अनुमति दे दी गई। किन्तु यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर राज्य सरकार कब तक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाकर शैक्षणिक मैदान का उपयोग मेला स्थल के तौर पर करती रहेगी?
ऐसे आयोजनों से कॉलेज का शैक्षणिक माहौल निश्चित रूप से प्रभावित होता है साथ ही खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने वाले विद्यार्थी भी मैदान का उपयोग नहीं कर पाते। कहने को तो यह मैदान साइंस कॉलेज का है, लेकिन पूरे साल भर जिस तरह से कॉलेज इसके उपयोग से ही महरूम रहता है, उसका दर्द यहां के शिक्षकों के अलावा सभी छात्र-छात्राओं के चेहरे में साफ तौर पर देखा जा सकता है। छात्र अरशद शरीफ कहते हैं कि हमारे खेल टूर्नामेन्ट अक्टूबर-नवम्बर के बीच में होते हैं, लेकिन मेले के कारण हम प्रैक्टिस नहीं कर पाते, मजबूरी में हम बास्केटबॉल मैदान में क्रिकेट की प्रैक्टिस करते हैं, जो कि अपेक्षाकृत बहुत छोटा होता है। एक अन्य छात्र रविन्द्र कहते हैं कि हमारा मैदान खाली न होने की वजह से हमें दूसरे मैदानों का रूख करना पड़ता है, जिससे कई प्रकार की व्यवहारिक दिक्कतें होती हैं। ऐसा नहीं है कि इस समस्या से कॉलेज प्रशासन अवगत नहीं है, शिक्षक भी विद्यार्थियों की इस समस्या से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं। कॉलेज के खेल शिक्षक अनिल दीवान कहते हैं कि निश्चित तौर पर यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैदान का उपयोग हम अपने ही बच्चों के हित में कर पाने से वंचित हैं अपेक्षा जताई कि मैदान को पूरी तरह से कॉलेज के सुपुर्द कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि लगातार आयोजनों से मैदान बदहाल होता जा रहा है कचरा, गंदगी फैलाने से जमीन प्रदूषित और बंजर हो रही है, जगह-जगह गङ्ढे खोद दिए जाने से मैदान का आकार ही बदलता जा रहा है तथा दिन में होने वाले आयोजनों से यहां की कक्षाएं प्रभावित होती हैं। श्री दीवान की बातों से एनएसएस प्रभारी डॉ. रेनू सक्सेना भी अपनी पूर्ण सहमति व्यक्त करती हैं। सार्वजनिक आयोजनों से सिर्फ खेल खिलाड़ियों को ही असुविधा नहीं होती, बल्कि अन्य छात्र-छात्राएं भी इससे प्रभावित होते हैं। कहने को तो कक्षाएं खुली रहती हैं पर उपस्थिति बहुत ही कम होती है। छात्रा गरिमा त्रिपाठी कहती हैं कि राज्योत्सव के समय क्लास बंद रहती है, और कुछ इसी प्रकार के विचार शिल्पा चौधरी के भी हैं।
कॉलेज मैदानों में सार्वजनिक कार्यक्रमों को आयोजित करना किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता, वो भी तब जब यह मैदान शहर के बीचों बीच स्थित हो। ऐसे आयोजनों से कई प्रकार की दिक्कतें शहर के बाशिंदों को उठानी पड़ती है। भीड़-भाड़ और ट्रैफिक को सीमित स्थान में नियंत्रित करना पुलिस प्रशासन के लिए भी टेढ़ी खीर साबित होता है। इन्हीं समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2007 में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर मोवा मंडी के पीछे एक स्थायी मेला स्थल बनाने पर चर्चा की थी और उम्मीद जतायी थी कि अगले वर्ष यानि 2008 से सारे सार्वजनिक आयोजन वहीं किए जाएंगे। हालांकि मामला आगे नहीं बढ़ पाया और मामला फाइल और बैठकों में ही कहीं गुम हो गया, तब से अब तक इस ओर किसी ने कोई गंभीर प्रयास नहीं किया।


हम सरकारी आदेश से बंधे हैं: प्राचार्य


साइंस कॉलेज के प्राचार्य केएन बाबत से बातचीत
प्र.- जिस तरह से मैदान का गैर शैक्षणिक उपयोग बढ़ रहा है, वह कितना उचित है?
उ.- मैदान शासन का है, वह जब चाहे इस मैदान का प्रयोग अपनी आवश्यकतानुसार कर सकता है, शासकीय महाविद्यालय होने के नाते हम सरकारी आदेश से बंधे हुए हैं, सभी आयोजन उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति से होते हैं।


प्र.-ऐसे आयोजनों से पढ़ाई बाधित होती है, क्या आपने इस दिशा में कोई प्रयास किया?
उ.- मेरी जानकारी में अभी तक ऐसी कोई बात नहीं आयी है और मैंने हाल ही में पदभार सम्भाला है। अगर ऐसा कुछ होता है तो इस दिशा में जरूर प्रयास किए जाएंगे।


प्र.- मैदान का एक हिस्सा स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंप दिया गया है, क्या इससे नैक की रैकिंग प्रभावित होगी।
उ.- नैक अपनी रैकिंग इस आधार पर देता है, कि आप उपलब्ध संसाधनों का कितना बेहतर इस्तेमाल करते हो, जब नैक की टीम यहां दोबारा आएगी तो उसके संज्ञान में यह बात होगी कि शासन के निर्देश पर मैदान का हिस्सा सौंपा गया है, इसलिए मैं इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हूं कि रैंकिंग बिल्कुल प्रभावित नहीं होगी।


प्र.- एक आखिरी सवाल सार्वजनिक आयोजनों से मैदान खराब होते हैं, उस पर आपकी ओर से क्या कार्रवाई होती है?
उ.- आयोजकों से हम सुरक्षा राशि जमा कर लेते हैं, मैदान खराब करने वालों की यह राशि जब्त कर ली जाती है और उन्हें काली सूची में डाल दिया जाता है। सरकारी आयोजन इससे मुक्त रहते हैं।

Monday, October 18, 2010

जयकारों के साथ दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन


विसर्जन के दौरान नम हुई श्रद्धालुओं की आँखें


नौ दिन तक मां की जय जयकार से गूंजने वाले दुर्गा पंडाल प्रतिमा विसर्जन के साथ ही सूने पड़ गए। श्रध्दालुओं ने परंपरागत तरीके से मां को विदाई दी। देवी स्थलों पर स्थापित मां की प्रतिमा को जयघोष के साथ नदी तक ले जाकर विसर्जन किया गया। जुलूस के साथ महिलाओं की टोली, जसगान करती हुई चल रही थी। महिलाओं ने सिर पर कलश जंवारा धारण कर मां को विदाई दी।

राजधानी में कल सुबह से ही दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला शुरू हो गया था, विसर्जन खारून नदी सहित शहर के विभिन्न तालाबों में किया गया। छोटी बड़ी सभी दुर्गोत्सव समितियों ने रविवार को प्रतिमाओं का विसर्जन महादेव घाट में किया। आयोजन स्थलों से माता के जयघोष के साथ प्रतिमाएं उठाई गई, ढोलक और मंजीरे की धुन पर मां के जसगीत गाती महिलाओं की टोली को देखने के लिए लोगों की अच्छी खासी भीड़ जुटी। सामने युवाओं की टोलियां भी थिरकती हुई चली साथ ही चौराहों पर जमकर आतिशबाजी की गई। कुछ दुर्गोत्सव समितियों ने प्रतिमा विसर्जन अपने निकट के तालाबों में ही कर दिया, बंधवा तालाब, महाराजबंद तालाब, बूढ़ा तालाब सहित कई तालाबों में विसर्जन किया गया। इससे पहले कालीबाड़ी स्थित बंगाली दुर्गोत्सव समिति द्वारा स्थापित प्रतिमा के समक्ष सुबह महादशमी की पूजा-अर्चना की गई, साथ ही महिलाओं ने दोपहर को मातृवरण व सिंदूर निवेदन किया, शाम को माता की शोभायात्रा निकाली गई जो कि विभिन्न मार्गों से होती हुई वापस मंदिर परिसर पहुंची। बढ़ईपारा में भी जंवारा कलश की शोभायात्रा निकाली गई। भक्त मान्यतानुसार शरीर में सांग और बाना धारण कर नंगे पांव शोभायात्रा में शामिल हुए। महिलाएं सफेद रंग की लाल किनारे वाली साड़ियां पहने जंवारा उठाए हुए चली।

जस गीतों के साथ भक्त थिरकते रहे। शोभायात्रा बढ़ईपारा से तात्यापारा होते हुए कंकाली तालाब पहुंची। वहीं रीति-रिवाज के अनुसार जंवारा कलश का विसर्जन किया गया। सांग और बाना भी शरीर से निकाले गए। शहर में कई स्थानों पर भक्तों ने भव्य जुलूस निकाला। जंवारा विसर्जन से पहले श्रध्दालुओं ने नौ दिनों तक स्थापित रहे। कलशों का ज्योति विसर्जन किया था। प्रतिमा विसर्जन का सिलसिला आज भी जारी रहा और श्रध्दालु पूरे जोश के साथ जुलूस में शामिल हुए

Monday, October 11, 2010

अवांछित कॉल के जरिए ग्राहकों की जेब में डाका


मोबाइल कंपनियां उड़ा रहीं ट्राई के दिशा-निर्देशों की धज्जियां

सुविधा एवं दूरसंचार के माध्यम से सजग रहने मोबाइल फोन का इस्तेमाल लोग करते हैं, लेकिन मोबाइल कंपनियां बिल के अतिरिक्त वसूली की कवायद में जुट गई हैं। मोबाइल कंपनियां ट्राई ने दिशा-निर्देश एवं नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर मोबाइल ग्राहकों की जेब में डाका डाल रही है जानकारी के अभाव में लोग ऐसे अवांछित कॉल का शिकार हो जाते हैं और सैकड़ों रुपए गंवा देते हैं।
मैं हूं सलोनी सी लड़की, क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे? चार्ज प्रति मिनट दस रुपया या बोरिंग टिंरग टिंरग को अलविदा कहें और नए हिट गानों को अपनी कॉलर टयून बनाएं, जैसी ढेरों कॉल कर मोबाइल कंपनियां अपने ग्राहकों को चूना लगा रही हैं। मोबाइल उपभोक्ता आए दिन कंपनियों के इस ऑफर के साथ कई गीत सुनाए जाते हैं जिसके 20 से 40 रु. तक काट लिए जाते हैं। अंधेरगर्दी का आलम यह है कि आपने गाना सेव किया हो या न किया हो पैसे कटते ही हैं। बीएसएनएल के ग्राहक पंकज कुमार का कहना है कि इस फेर में अब तक उनके 60 रु. कट चुके हैं, कस्टमर केयर में शिकायत करने के बावजूद अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।
उपभोक्ताओं को किसी भी वक्त कंपनी की तरफ से फोन आता है और मधुर आवाज में ऑफरों की बरसात कर दी जाती है, ध्यान देने योग्य तथ्य यह है इस प्रकार की स्कीमों को संदेशों के माध्यम से भी दिनभर भेजा जाता है, जिससे लोगों के कार्य में अनावश्यक रूप से विघ्न पड़ता है। साइंस कॉलेज में भौतिक विभाग के शिक्षक समरेन्द्र सिंह कहते हैं कि उन्हें दिनभर इस तरह के मेसेज और कॉल आते रहते हैं जिससे उनके अध्यापन कार्य में विघ्न पड़ता है। कई बार वह जरूरी कॉल समझकर कॉल रिसीव कर लेते हैं और कई बार वह अपने परिचितों का फोन भी इस भ्रम में नहीं उठा पाते कि कंपनी का ही कॉल होगा। इस प्रकार शहर के लोगों का धन और समय अनावश्यक रूप से व्यय हो रहा ह,ै जिसका पूरा फायदा टेलीकॉम कंपनियां उठा रही हैं।
क्रिकेट, समाचार, भविष्यफल, चुटकुले, यात्रा संबंधी विवरण के अलावा मोबाइल ऑपरेटर ग्राहकों की जेब से पैसा निकालने के लिए नित नए हथकण्डे अपना रही हैं, जिसमें लोगों को प्रेम की जानकारी देने के साथ प्रेमी-प्रेमिकाएं भी उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है, साथ ही करोड़पति बनाने के हसीन सपने दिखाकर भी लोगों को खूब बेवकूफ बनाया जा रहा है। इंजीनियरिंग के छात्र अफशानुल हक को पिछले दिनों एक एसएमएस मिला जिसमें लिखा था कि आपने लकी ड्रॉ में दो करोड़ का ईनाम जीता है, जिससे वह भौंचक रह गए, चूंकि यह सर्विस मैसेज था इसलिये नंबर की पहचान नहीं हो सकी।
अगर आप अपना एकाउंट या वैलिडिटी जांचना चाहते हैं तो आपको अपना ज्योतिष जानने, गाना सुनने या डाउनलोड करने की सलाह मुफ्त में दी जाती है और दर भी कोई साधारण नहीं 6, 7, 8 या 10 रुपए प्रति मिनट तय रहती है। यह जानकारी कुछ इस प्रकार से सेट की जाती है ग्राहक बार-बार संदेश भेजे जिससे अधिक कमाई की जा सके और यदि कॉल है तो आपको पैसा काटने के बाद बताया जाएगा कि आपकी इतनी राशि काट ली गई है।
ग्राहकों की कम जानकारी का मोबाइल कंपनियां बहुत फायदा उठा रही हैं, कहने को सभी आपरेटरों ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के निर्देशानुसार अनचाही कॉल्स को रोकने वाली सुविधा दे रखी है, किंतु इस सुविधा का व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। टेलीकॉम कंपनियों की वेबसाइट में जितना नए-नए ऑफर फ्लैश होते हैं उसकी तुलना में ग्राहक हितों की संरक्षक इस सुविधा को नजर अंदाज कर दिया गया है। कई लोगों का आरोप है कि उनके नंबरों को मार्केटिंग कंपनियों को सौंप दिया जाता है, जिससे उनकी निजता तो भंग होती ही है साथ ही सेल्स एजेंटों द्वारा उन्हें समय-समय पर प्रोडक्ट खरीदने के लिए परेशान भी किया जाता है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है कि मोबाइल कंपनियां ग्राहकों का डेटाबेस मार्केटिंग कंपनियों से साझा कर रही है, लेकिन इस संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता क्योंकि नए सिमों में भी यह दिक्कत पहले ही दिन से शुरू हो जाती है।


90फीसदी से अधिक लोग नहीं जानते नोडल अधिकारी का पता

मोबाइल ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए हर मोबाइल कंपनी द्वारा ग्राहक सेवा केन्द्र या सहायता नंबर जारी किए हैं, किंतु बहुत से लोगों की शिकायत का निवारण कर पाने में कॉल सेंटर असमर्थ हो जाते हैं, इसलिए ट्राई के निर्देशानुसार हर कंपनी ने अपने यहां नोडल अधिकारी को नियुक्त कर रखा है, जिससे अपील करके शिकायतकर्ता समाधान पा सकता है। ट्राई के आंकड़ों के अनुसार कॉल सेंटर द्वारा ग्राहक समस्याओं का समाधान न कर पाने में बीएसएनल सबसे आगे रहा। बीएसएनएल के 40 प्रतिशत, एयरटेल के 34 प्रतिशत, आर कॉम के 32 प्रतिशत, रिलायंस जीएसएम के 35 प्रतिशत और आईडिया सेल्युलर के 19 प्रतिशत ग्राहक कॉल सेंटर से संतुष्ट नहीं हुए। नब्बे प्रतिशत से अधिक ग्राहक नहीं जानते कि कॉल सेंटर के बाद कहां शिकायती अपील करनी है, इस मामले में वोडाफोन के ग्राहक सबसे आगे हैं। वोडाफोन के 99 प्रतिशत ग्राहक, एयरटेल के 97 प्रतिशत, टाटा के 94 प्रतिशत, बीएसएनल के 94 प्रतिशत, रिलायंस के 97 प्रतिशत और आईडिया के 95 प्रतिशत ग्राहकों को शिकायत अपील करने के लिए नोडल अधिकारियों की जानकारी नहीं है। समस्त आंकड़े ट्राई 2009 तक की सेवाओं के आधार पर इस वर्ष जारी किए गए हैं।