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Wednesday, August 4, 2010

प्रदूषित हो रहा है पवित्र अमरनाथ धाम


शिवभक्तों में कौन ऐसा होगा जो अमरनाथ के दर्शन करने नहीं जाना चाहता। हर शिवभक्त की यह आकांक्षा होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार पवित्र गुफा में स्थित इस हिमलिंग के दर्शन करें, जिसकी कथा सुनने मात्र से अनेक पाप नष्ट हो जाते हैं । ऐसे पवित्र स्थान में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर श्रद्धालुआे में चिंता होना स्वाभाविक है । आज पहलगाम से लेकर पवित्र गुफा तक प्लास्टिक की खाली बोतलें, पोलीथीन की थैलियां तथा थर्माकोल के बर्तन बिखरे पड़े हैं । एक अत्यंत पवित्र धर्मस्थल में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर नियंत्रण करना आवश्यक हो गया है । जम्मू व कश्मीर सरकार, पहलगाम विकास प्राधिकरण, श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड तथा स्थानीय प्रशासन सभी इस बढ़ते प्रदूषण को लेकर गंभीर दिखाई नहीं देते हैं। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में १२,७२३ फीट ऊँचाई पर हिम आच्छादित पर्वतों के बीच स्थित भगवान अमरनाथजी की महिमा निराली है । मनमोहन झीलों, चश्मों, देवदार व चीड़ के घने जंगलों के बीच से बहती दूधिया नदियों की कलकल आवाज में श्री बाबा अमरनाथ की ध्वनि स्पंदित होती है । पर्वतों के मध्य में लगभग ६० फीट लम्बी, ३० फीट चौड़ी और १५ फीट ऊँची उबड़-खाबड़ गुफा के अंदर प्रतिवर्ष हिमलिंग की रचना होना अपने आप में एक आश्चर्य है ।

अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर पहलगाम और बालटाल, चन्दनवाड़ी, पिस्सुघाटी, समुद्रतल से १४९०० फीट की ऊँचाई पर स्थित महागुनस टाप, जोजेपाल, पर्वतों के बीच गहरे हरे नीले जल की विशाल जलराशि शेषनाग झील, पोषपत्री तथा चंदनवाड़ी में अतुलनीय सौंदर्य बिखरा पड़ा है । इन रास्तों पर चलते वक्त ऊँचाई का अहसास नहीं होता और यह भी विश्वास नहीं होता कि प्रकृति इतनी सुंदर हो सकती है । मन को अपूर्व शांति व सुख देने वाली कश्मीर घाटी में यात्रियों द्वारा फैलाया जा रहा प्रदूषण मन को विचलित कर देता है। इंसान द्वारा फैलाये गये इस प्रदूषण का प्रारंभ दोनों आधार शिविरों बालटाल और पहलगाम से ही हो जाता है । पहलगाम आधार शिविर के पास बहने वाली नदी के किनारे शौच के बाद फेंकी गयी पैकेज्ड वाटर की बोतलें तथा खाद्य पदार्थोंा की पॉलीथीन सर्वत्र बिखरी दिखाई देती है । पिछले कुछ सालों से अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लोगों की बढ़ती संख्या का ही परिणाम है कि लिद्दर दरिया का पानी पीने लायक नहीं रह गया है और बैसरन तथा सरबल के जंगल जो अभी तक मानव के कदमों से अछूते थे। अब अपने अस्तित्व की लड़ाई में लगे हैं। पिछले साल यात्रा के बाद ५५ हजार किग्रा. कूड़ा-करकट यात्रा मार्ग पर एकत्र किया गया था, इसमें आधा प्लास्टिक था और जो दरियाआे मे बहा दिया गया था, उसका कोई हिसाब नहीं है। श्री अमरनाथ गुफा के पास बहने वाली नदी में पानी की खाली बोतलें तैरती दिखाई देती हैं । सबसे ज्यादा प्रदूषण तो उस समय दिखा जब शेषनाग झील के पास स्थित नागाकोटी के मनोरम जल प्रपात में अज्ञानी यात्रियों द्वारा सैकड़ों प्लास्टिक की बोतलें व खाद्य पदार्थों के पोलीथीन फेंककर इसे गंदा किया गया । श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान स्थानीय निवासियों द्वारा जगह-जगह लगायी गयी खाद्य सामग्री की दूकानें तो खूब हैं, लेकिन खाली बोतलों, पॉलीथीन तथा थर्माकोल के कप व गिलास को यथास्थान फेंकने की व्यवस्था नहीं है। श्री अमरनाथ श्राइन बार्ड की कार्यप्रणाली भी सुस्त व निष्क्रिय लग। बोर्ड ने कहीं भी ऐसे इंतजाम नहीं किये जिससे इस पवित्र अमरनाथ धाम को प्रदूषित होने से बचाया जा सके । श्री अमरनाथ गुफा के ठीक नीचे स्थित हेलीपेड के पास भी कभी नष्ट न होने वाली प्लास्टिक व पोलीथीन जहां तहां बिखरी पड़ी है । श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड में श्रद्धालुआे को जागरूक करने के लिए कोई प्रयास किया हो ऐसा दिखाई नहीं पड़ता है। यही हाल पहलगाम विकास प्राधिकरण (पी.डी.ए.) का भी है । पूरी यात्रा के दौरान ऐसा लगा कि जिस तरह से श्री अमरनाथ धाम में घातक प्रदूषण बढ़ रहा है । यदि उसे रोकने के लिए समय रहते ठोस उपाय नहीं किये गये तो वह दिन दूर नहीं जब कश्मीर की यह मनोरम वादी प्लास्टिक के कचरे से पट जायेगी जिससे घाटी के पर्यावरण को अपूर्णनीय क्षति पहँुचेगी । शिव को अनेक नामों से जाना जाता है । शिवभक्त शंकर ने शिव को शंकर कहा था, शंकर का शाब्दिक अर्थ है - शं यानी कल्याण तथा कर याने करने वाले अर्थात कल्याण करने वाला । ऐसे शंकर के पवित्र धाम को यदि हम अज्ञानतावश प्रदूषित कर रहे हैं , इससे जनता को जागरूक करने के लिए एक जन जागरूकता अभियान की जरूरत है जिसे श्रद्धालुआे, शिवभक्तों की सेवा करने वाले भण्डारे वाले, पहलगाम विकास प्राधिकरण, श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड, स्थानीय दुकानदारों तथा प्रशासन के द्वारा जन सहयोग से चलाया जा सकता है। भारतीय दर्शन व विज्ञान की उत्कृष्ट परम्परा के प्राण कहे जाने वाले, कल्याण करने वाले देवता शिव के पवित्र धाम में प्रदूषण नियंत्रण करने का उचित समय आ गया है ।

Tuesday, August 3, 2010

Sohrabuddin Before The Shots Rang Out


Four years after they were killed, Sohrabuddin Sheikh and Tulsiram Prajapati are stalking their alleged one-time masters in Gujarat with a vengeance. The duo from Madhya Pradesh may have begun their criminal career in the state, but Rajasthan was their big turf even while they spread wings in Gujarat.

When the police shot him in an alleged fake encounter on November 26, 2005, near Ahmedabad, Sohrabuddin had four police cases against him in Gujarat, one in Rajasthan, two in Maharashtra and a dozen-odd cases in MP. Until he fell, Sohrabuddin perhaps had no clue that he was only a pawn in the hands of politicians and policemen who used him to run a bigger extortion network. The CBI now says Sohrabuddin's masters stage-managed the shootout at a prominent Ahmedabad builder's office in 2004.

If the CBI findings are anything to go by, it was all about money. Extortions were allegedly run and managed by senior police officers for their political bosses and the dead men were mere instruments. According to the CBI chargesheet, Amit Shah, the former Gujarat minister of state for Home who is now in judicial custody, had entrusted the job of eliminating Sohrabuddin Sheikh to three senior IPS officers: D G Vanzara, Rajkumar Pandiyan and Abhay Chudasama.

Sunday, August 1, 2010

सोहराबुद्दीन का बचाव आखिर क्यों ?


Jis Sohrabuddin ka bachaav ho raha hai usko zinda rahte huwe jahan jail mein hona chahiye tha wo marne ke baad auron ko jail ki hawa khila raha hai, Sohrabuddin ek aatankwaadi tha jisey encounter mein maar diya gaya...... Kya fark padta hai ki wo encounter asli tha ya farzi ? Kya Ye Rajdharm hai ki ek Aatankwaadi ko Khula Chodh diya jaaye taaki wo saare desh ke liye khatra ban jaaye. Desh mein aur bhi Farzi Encounter huwe hain jo nahi hone chahiye they...... Lekin Yahan Ye Dhyan Rakhna Chahiye ki Yahan Ek Proved Criminal ka Encounter kiya gaya hai Jo ki mere niji vichaar mein sahi hai........ Aur Desh ki Sarkaaro ko ek dusre ke khilaaf jahar nahi ugalna chahiye, CBI Ka Durupyog koi nayi baat nahi hai.

Sohrabuddin Ek Aatankwadi Tha Jisey Maar Diya Gaya, Aur Ye Sahi Hai. Sohrabuddin Ka Marna Desh ke liye Zaroori tha. BJP ya Congress apne apne faayde ke liye iska Raajneetikaran kar rahi hain. Aur Rahi baat Tulsi aur Kausar ki to Genhu ke saath Ghun Pis hi jaata hai.