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Tuesday, December 7, 2010

धड़ल्ले से जारी है नकली सीडी का कारोबार




राजधानी में इन दिनों पायरेटेड सीडी का धंधा जोरों पर है। नई फिल्म रिलीज हुई नहीं कि उसकी सीडी बाजारों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। एक फिल्म निर्माता जितना फिल्म बनाकर कमाता है, उससे कहीं ज्यादा कमाई नकली डीवीडी-सीडी बनाने वाले कर रहे हैं। इससे न केवल फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोगों का नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। लचर कानून व सख्त कार्रवाई के अभाव में इस धंधे से छोटे कारोबारी भी जुड़ चुके हैं, स्थिति यह है कि 150 से 200 रुपए तक मूल्य में मिलने वाली फिल्मों की डीवीडी कॉपी करके 20-25 रुपए में शहर के ठेलों में खुलेआम बिक रही है।
तेजी से पांव पसार रहा पायरेसी का व्यवसाय मनोरंजन उद्योग के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। छत्तीसगढ़ का फिल्मोद्योग भी पायरेसी के रोग से अछूता नहीं है। छत्तीसगढ़िया फिल्मोद्योग से जुड़े मोहन सुंदरानी कहते हैं कि पायरेसी का यह नेटवर्क राजधानी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। इससे निपटने के लिए छोटी-मोटी कार्रवाई से काम नहीं चलने वाला। वह मानते हैं कि इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट काम कर रहा है और अगर पुलिस गंभीरता से पड़ताल करे तो एक सप्ताह के भीतर ही इसकी सभी परतें खुल सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि शहर में ओरिजनल सीडी बेचने वाली सिर्फ 4-5 दुकानें ही हैं। आमापारा स्थित एक सीडी विक्रेता ने बताया कि असली डीवीडी महंगी होने के कारण लोगों का रूझान सस्ती पायरेटेड कॉपी पर अधिक रहता है, क्योंकि यह 20 से 25 रुपए में उपलब्ध होने के साथ इसमें पांच से छ: फिल्में भी होती हैं।
ऐसा नहीं है कि पुलिस ने कभी छापेमारी नहीं की। शहर के कई ठिकानों में शिकायत के आधार पर कई बार दबिशें दी गई हैं, लेकिन सीमित कार्रवाई के चलते आरोपी अक्सर बच निकलते हैं और वापस अपने धंधे में लग जाते हैं। हर महीने करोड़ों के टर्न ओवर तक पहुंच चुके पायरेसी के धंधेबाजों को पकड़ने में आमतौर पर पुलिस गंभीर नहीं होती। कई बार म्युजिक कंपनियां जब शिकायत करती हैं तो छापा मार दिया जाता है। मौके पर मिले माल को जब्त किया जाता है, लेकिन कारोबार की जड़ में जाने और बड़ी मछलियों को पकड़ने की पुलिस ने कभी कोशिश नहीं की। पायरेसी नेटवर्क को तोड़ने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है, साथ ही सरकार को भी समस्या की सुध लेनी चाहिए। क्योंकि उसे भी करोड़ों के राजस्व का घाटा उठाना पड़ रहा है।
शहर में पायरेटेड सीडी के फुटकर विक्रेताओं की यूं तो हर जगह भरमार है, लेकिन घड़ी चौक, जयस्तम्भ चौक, जेल रोड, महाबो बाजार, पंडरी, तेलीबांधा, पचपेढ़ी नाका, आमापारा, सदर बाजार, के अलावा लगभग सभी चौराहों में ठेलों में सजाकर इनकी खुलेआम बिक्री की जा रही है। सरेआम जिस तरह कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है, उसमें प्रशासनिक चुप्पी हैरत करने वाली है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह सिर्फ शिकायत के आधार पर ही कार्रवाई कर सकते ह,ैं लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि इस संज्ञेय अपराध में किसकी शिकायत का इंतजार है। राजधानी होने के कारण यहां वीआईपी मूवमेंट भी अधिक रहता है, उसके बावजूद शासन-प्रशासन के लोगों की चुप्पी पायरेसी के धंधे को मौन सहमति दे रही है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे मामलों में पुलिस स्वयं कार्रवाई कर सकती है। कॉपी राइट एक्ट के तहत दर्ज किए गए मामले में तीन साल की सजा और बीस हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। यह संज्ञेय अपराध है इसलिए पुलिस को बिना मजिस्ट्रेट से आदेश लिए आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार है, लेकिन इस कानून में इतने अधिक पेंच हैं कि आमतौर पर आरोपी बच निकलता है।


कैसे चल रहा है धंधा
फिल्म कंपनियों ने सिनेमा हॉल में दर्शकों को खींचने के लिए फिल्म के साथ सीडी रिलीज करनी बंद कर दी है। फिल्म निर्माता अपने विदेशी अधिकारों को बेच देते हैं और वहां फिल्में पहले रिलीज हो जाती हैं। साथ ही सीडी भी रिलीज की जाती है। सीडी रिलीज होते ही यह आसानी से पाकिस्तान होते हुए भारत पहुंचती है। इस काम में अन्डरवर्ल्ड के लोग भी शामिल हैं। दूसरा लैब में फिल्मों के निगेटिव तैयार करते समय उसकी कॉपी कर लेते हैं, फिर इस मास्टर प्रिन्ट की मदद से करोड़ों सीडी तैयार कर ली जाती है। छत्तीसगढ़ में माल दिल्ली व मुंबई के बाजारों से आता है।

बड़ी कार्रवाई की जरूरत
रणनीति के तहत अभियान चलाकर पायरेसी के खिलाफ सख्त मुहिम छेड़ने पर ही इस पर रोक लग सकती है, क्योंकि मर्ज इतना बढ़ गया है कि छिटपुट कार्रवाईयों से कुछ नहीं होने वाला।

दक्षिण भारत के राज्यों में सख्ती
एक अनुमान के मुताबिक फिल्म जितनी कमाई करती है उसका दस गुना पायरेसी से जुड़े लोग कमा रहे हैं। जानकार मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में दक्षिण भारत की तर्ज पर सख्त कार्रवाई करते हुए आरोपियों पर गुंडा एक्ट लगाना चाहिए, जिससे आरोपी छह महीनों तक जेल में ही रहें। कॉपीराइट एक्ट को भी सख्त बनाए जाने की तुरंत आवश्यकता है, साथ ही सरकार की भी जिम्मेदारी है कि पायरेसी करने वालों से सख्ती से निपटे।

जनता भी आगे आएं
अगर आप सड़क किनारे या अवैध ढंग से बिकने वाली सीडी, डीवीडी की सूचना देना चाहते हैं तो इस नम्बर 18001031919 पर दे सकते हैं।

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