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Tuesday, October 19, 2010

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना, मेला स्थल बना साइंस कॉलेज मैदान


राजधानी रायपुर में सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए मैदान न होने का खामियाजा साइंस कॉलेज को भुगतना पड़ रहा है, राज्योत्सव समेत साल भर जितने भी सार्वजनिक उत्सव शहर में आयोजित होते हैं

उनमें से 95 फीसदी कार्यक्रम आयोजन साइंस कॉलेज मैदान में होते हैं। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार शैक्षणिक मैदानों का अन्य गतिविधियों में उपयोग पूरी तरह वर्जित है, इसी आदेश के आधार पर शहर की महापौर डॉ. किरणमयी नायक ने अभी हाल ही में राष्ट्रीय सेवक संघ को सप्रे शाला मैदान देने से मना कर दिया था हालांकि छुट्टी का हवाला देते हुए बाद में अनुमति दे दी गई। किन्तु यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर राज्य सरकार कब तक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाकर शैक्षणिक मैदान का उपयोग मेला स्थल के तौर पर करती रहेगी?
ऐसे आयोजनों से कॉलेज का शैक्षणिक माहौल निश्चित रूप से प्रभावित होता है साथ ही खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने वाले विद्यार्थी भी मैदान का उपयोग नहीं कर पाते। कहने को तो यह मैदान साइंस कॉलेज का है, लेकिन पूरे साल भर जिस तरह से कॉलेज इसके उपयोग से ही महरूम रहता है, उसका दर्द यहां के शिक्षकों के अलावा सभी छात्र-छात्राओं के चेहरे में साफ तौर पर देखा जा सकता है। छात्र अरशद शरीफ कहते हैं कि हमारे खेल टूर्नामेन्ट अक्टूबर-नवम्बर के बीच में होते हैं, लेकिन मेले के कारण हम प्रैक्टिस नहीं कर पाते, मजबूरी में हम बास्केटबॉल मैदान में क्रिकेट की प्रैक्टिस करते हैं, जो कि अपेक्षाकृत बहुत छोटा होता है। एक अन्य छात्र रविन्द्र कहते हैं कि हमारा मैदान खाली न होने की वजह से हमें दूसरे मैदानों का रूख करना पड़ता है, जिससे कई प्रकार की व्यवहारिक दिक्कतें होती हैं। ऐसा नहीं है कि इस समस्या से कॉलेज प्रशासन अवगत नहीं है, शिक्षक भी विद्यार्थियों की इस समस्या से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं। कॉलेज के खेल शिक्षक अनिल दीवान कहते हैं कि निश्चित तौर पर यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैदान का उपयोग हम अपने ही बच्चों के हित में कर पाने से वंचित हैं अपेक्षा जताई कि मैदान को पूरी तरह से कॉलेज के सुपुर्द कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि लगातार आयोजनों से मैदान बदहाल होता जा रहा है कचरा, गंदगी फैलाने से जमीन प्रदूषित और बंजर हो रही है, जगह-जगह गङ्ढे खोद दिए जाने से मैदान का आकार ही बदलता जा रहा है तथा दिन में होने वाले आयोजनों से यहां की कक्षाएं प्रभावित होती हैं। श्री दीवान की बातों से एनएसएस प्रभारी डॉ. रेनू सक्सेना भी अपनी पूर्ण सहमति व्यक्त करती हैं। सार्वजनिक आयोजनों से सिर्फ खेल खिलाड़ियों को ही असुविधा नहीं होती, बल्कि अन्य छात्र-छात्राएं भी इससे प्रभावित होते हैं। कहने को तो कक्षाएं खुली रहती हैं पर उपस्थिति बहुत ही कम होती है। छात्रा गरिमा त्रिपाठी कहती हैं कि राज्योत्सव के समय क्लास बंद रहती है, और कुछ इसी प्रकार के विचार शिल्पा चौधरी के भी हैं।
कॉलेज मैदानों में सार्वजनिक कार्यक्रमों को आयोजित करना किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता, वो भी तब जब यह मैदान शहर के बीचों बीच स्थित हो। ऐसे आयोजनों से कई प्रकार की दिक्कतें शहर के बाशिंदों को उठानी पड़ती है। भीड़-भाड़ और ट्रैफिक को सीमित स्थान में नियंत्रित करना पुलिस प्रशासन के लिए भी टेढ़ी खीर साबित होता है। इन्हीं समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2007 में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर मोवा मंडी के पीछे एक स्थायी मेला स्थल बनाने पर चर्चा की थी और उम्मीद जतायी थी कि अगले वर्ष यानि 2008 से सारे सार्वजनिक आयोजन वहीं किए जाएंगे। हालांकि मामला आगे नहीं बढ़ पाया और मामला फाइल और बैठकों में ही कहीं गुम हो गया, तब से अब तक इस ओर किसी ने कोई गंभीर प्रयास नहीं किया।


हम सरकारी आदेश से बंधे हैं: प्राचार्य


साइंस कॉलेज के प्राचार्य केएन बाबत से बातचीत
प्र.- जिस तरह से मैदान का गैर शैक्षणिक उपयोग बढ़ रहा है, वह कितना उचित है?
उ.- मैदान शासन का है, वह जब चाहे इस मैदान का प्रयोग अपनी आवश्यकतानुसार कर सकता है, शासकीय महाविद्यालय होने के नाते हम सरकारी आदेश से बंधे हुए हैं, सभी आयोजन उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति से होते हैं।


प्र.-ऐसे आयोजनों से पढ़ाई बाधित होती है, क्या आपने इस दिशा में कोई प्रयास किया?
उ.- मेरी जानकारी में अभी तक ऐसी कोई बात नहीं आयी है और मैंने हाल ही में पदभार सम्भाला है। अगर ऐसा कुछ होता है तो इस दिशा में जरूर प्रयास किए जाएंगे।


प्र.- मैदान का एक हिस्सा स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंप दिया गया है, क्या इससे नैक की रैकिंग प्रभावित होगी।
उ.- नैक अपनी रैकिंग इस आधार पर देता है, कि आप उपलब्ध संसाधनों का कितना बेहतर इस्तेमाल करते हो, जब नैक की टीम यहां दोबारा आएगी तो उसके संज्ञान में यह बात होगी कि शासन के निर्देश पर मैदान का हिस्सा सौंपा गया है, इसलिए मैं इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हूं कि रैंकिंग बिल्कुल प्रभावित नहीं होगी।


प्र.- एक आखिरी सवाल सार्वजनिक आयोजनों से मैदान खराब होते हैं, उस पर आपकी ओर से क्या कार्रवाई होती है?
उ.- आयोजकों से हम सुरक्षा राशि जमा कर लेते हैं, मैदान खराब करने वालों की यह राशि जब्त कर ली जाती है और उन्हें काली सूची में डाल दिया जाता है। सरकारी आयोजन इससे मुक्त रहते हैं।

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