Monday, October 11, 2010
अवांछित कॉल के जरिए ग्राहकों की जेब में डाका
मोबाइल कंपनियां उड़ा रहीं ट्राई के दिशा-निर्देशों की धज्जियां
सुविधा एवं दूरसंचार के माध्यम से सजग रहने मोबाइल फोन का इस्तेमाल लोग करते हैं, लेकिन मोबाइल कंपनियां बिल के अतिरिक्त वसूली की कवायद में जुट गई हैं। मोबाइल कंपनियां ट्राई ने दिशा-निर्देश एवं नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर मोबाइल ग्राहकों की जेब में डाका डाल रही है जानकारी के अभाव में लोग ऐसे अवांछित कॉल का शिकार हो जाते हैं और सैकड़ों रुपए गंवा देते हैं।
मैं हूं सलोनी सी लड़की, क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे? चार्ज प्रति मिनट दस रुपया या बोरिंग टिंरग टिंरग को अलविदा कहें और नए हिट गानों को अपनी कॉलर टयून बनाएं, जैसी ढेरों कॉल कर मोबाइल कंपनियां अपने ग्राहकों को चूना लगा रही हैं। मोबाइल उपभोक्ता आए दिन कंपनियों के इस ऑफर के साथ कई गीत सुनाए जाते हैं जिसके 20 से 40 रु. तक काट लिए जाते हैं। अंधेरगर्दी का आलम यह है कि आपने गाना सेव किया हो या न किया हो पैसे कटते ही हैं। बीएसएनएल के ग्राहक पंकज कुमार का कहना है कि इस फेर में अब तक उनके 60 रु. कट चुके हैं, कस्टमर केयर में शिकायत करने के बावजूद अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।
उपभोक्ताओं को किसी भी वक्त कंपनी की तरफ से फोन आता है और मधुर आवाज में ऑफरों की बरसात कर दी जाती है, ध्यान देने योग्य तथ्य यह है इस प्रकार की स्कीमों को संदेशों के माध्यम से भी दिनभर भेजा जाता है, जिससे लोगों के कार्य में अनावश्यक रूप से विघ्न पड़ता है। साइंस कॉलेज में भौतिक विभाग के शिक्षक समरेन्द्र सिंह कहते हैं कि उन्हें दिनभर इस तरह के मेसेज और कॉल आते रहते हैं जिससे उनके अध्यापन कार्य में विघ्न पड़ता है। कई बार वह जरूरी कॉल समझकर कॉल रिसीव कर लेते हैं और कई बार वह अपने परिचितों का फोन भी इस भ्रम में नहीं उठा पाते कि कंपनी का ही कॉल होगा। इस प्रकार शहर के लोगों का धन और समय अनावश्यक रूप से व्यय हो रहा ह,ै जिसका पूरा फायदा टेलीकॉम कंपनियां उठा रही हैं।
क्रिकेट, समाचार, भविष्यफल, चुटकुले, यात्रा संबंधी विवरण के अलावा मोबाइल ऑपरेटर ग्राहकों की जेब से पैसा निकालने के लिए नित नए हथकण्डे अपना रही हैं, जिसमें लोगों को प्रेम की जानकारी देने के साथ प्रेमी-प्रेमिकाएं भी उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है, साथ ही करोड़पति बनाने के हसीन सपने दिखाकर भी लोगों को खूब बेवकूफ बनाया जा रहा है। इंजीनियरिंग के छात्र अफशानुल हक को पिछले दिनों एक एसएमएस मिला जिसमें लिखा था कि आपने लकी ड्रॉ में दो करोड़ का ईनाम जीता है, जिससे वह भौंचक रह गए, चूंकि यह सर्विस मैसेज था इसलिये नंबर की पहचान नहीं हो सकी।
अगर आप अपना एकाउंट या वैलिडिटी जांचना चाहते हैं तो आपको अपना ज्योतिष जानने, गाना सुनने या डाउनलोड करने की सलाह मुफ्त में दी जाती है और दर भी कोई साधारण नहीं 6, 7, 8 या 10 रुपए प्रति मिनट तय रहती है। यह जानकारी कुछ इस प्रकार से सेट की जाती है ग्राहक बार-बार संदेश भेजे जिससे अधिक कमाई की जा सके और यदि कॉल है तो आपको पैसा काटने के बाद बताया जाएगा कि आपकी इतनी राशि काट ली गई है।
ग्राहकों की कम जानकारी का मोबाइल कंपनियां बहुत फायदा उठा रही हैं, कहने को सभी आपरेटरों ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के निर्देशानुसार अनचाही कॉल्स को रोकने वाली सुविधा दे रखी है, किंतु इस सुविधा का व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। टेलीकॉम कंपनियों की वेबसाइट में जितना नए-नए ऑफर फ्लैश होते हैं उसकी तुलना में ग्राहक हितों की संरक्षक इस सुविधा को नजर अंदाज कर दिया गया है। कई लोगों का आरोप है कि उनके नंबरों को मार्केटिंग कंपनियों को सौंप दिया जाता है, जिससे उनकी निजता तो भंग होती ही है साथ ही सेल्स एजेंटों द्वारा उन्हें समय-समय पर प्रोडक्ट खरीदने के लिए परेशान भी किया जाता है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है कि मोबाइल कंपनियां ग्राहकों का डेटाबेस मार्केटिंग कंपनियों से साझा कर रही है, लेकिन इस संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता क्योंकि नए सिमों में भी यह दिक्कत पहले ही दिन से शुरू हो जाती है।
90फीसदी से अधिक लोग नहीं जानते नोडल अधिकारी का पता
मोबाइल ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए हर मोबाइल कंपनी द्वारा ग्राहक सेवा केन्द्र या सहायता नंबर जारी किए हैं, किंतु बहुत से लोगों की शिकायत का निवारण कर पाने में कॉल सेंटर असमर्थ हो जाते हैं, इसलिए ट्राई के निर्देशानुसार हर कंपनी ने अपने यहां नोडल अधिकारी को नियुक्त कर रखा है, जिससे अपील करके शिकायतकर्ता समाधान पा सकता है। ट्राई के आंकड़ों के अनुसार कॉल सेंटर द्वारा ग्राहक समस्याओं का समाधान न कर पाने में बीएसएनल सबसे आगे रहा। बीएसएनएल के 40 प्रतिशत, एयरटेल के 34 प्रतिशत, आर कॉम के 32 प्रतिशत, रिलायंस जीएसएम के 35 प्रतिशत और आईडिया सेल्युलर के 19 प्रतिशत ग्राहक कॉल सेंटर से संतुष्ट नहीं हुए। नब्बे प्रतिशत से अधिक ग्राहक नहीं जानते कि कॉल सेंटर के बाद कहां शिकायती अपील करनी है, इस मामले में वोडाफोन के ग्राहक सबसे आगे हैं। वोडाफोन के 99 प्रतिशत ग्राहक, एयरटेल के 97 प्रतिशत, टाटा के 94 प्रतिशत, बीएसएनल के 94 प्रतिशत, रिलायंस के 97 प्रतिशत और आईडिया के 95 प्रतिशत ग्राहकों को शिकायत अपील करने के लिए नोडल अधिकारियों की जानकारी नहीं है। समस्त आंकड़े ट्राई 2009 तक की सेवाओं के आधार पर इस वर्ष जारी किए गए हैं।
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बहुत उपयोगी व जरूरी जानकारी दी है। आभार।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी व जरूरी जानकारी दी है। धन्यवाद|
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteapne jo jankari logo tak pohnchayi hai wo uske liye dhanyawad....sach me logo in baato ka nhi pta hota....
ReplyDeleteअच्छा लेख है, ऐसी उपयोगी व महत्वपूर्ण जानकारी के अभाव में लोग आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं।
ReplyDeletebhut acha likha h.....aur hume sachchayi se rubaroo karaya...iske liye bhut bhut dhanyawad....
ReplyDeleteye sach h aur hume koshis karni chahiye ki ise jada se jada logo tk pahunchaye...
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें