
निरुपमा की तस्वीर को कम से कम दो-तीन बार ध्यान से ज़रूर देखिएगा....आपको नीरू की इस तस्वीर में कहीं न कहीं अपनी बेटी...बहन...ज़रूर नज़र आएगी....और अगर नहीं आती है तो फिर अपने आप को आइने में दो-चार बार ज़रूर देखिएगा .कि क्या आपमें इंसान होने के कितने लक्षण बचे हैं.
नीरू की गलती थी कि वो सही रास्ते से अपनी मंज़िल पाना चाहती थी...अगर नीरू बिना घरवालों की मर्ज़ी के ये शादी कर लेती तो ज़्यादा से ज़्यादा एक दो साल बाद यही लोग उसे वापस अपना लेते...पर हमारे तथाकथित सभ्य समाज को सीधे और सरल तरीके पसंद ही कहां हैं....हमारी गौरवशाली संस्कृति का दम भरने वाले ठेकेदार अब कहां हैं...और क्या नाम देंगे इसे...
जानता हूं कि अभी भी कई लोग सवाल करेंगे कि क्या गारंटी है कि नीरू ने आत्महत्या नहीं की उसका क़त्ल हुआ है....तो एक बार उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का लिंक...ज़रूर देखें) पूरा ज़रूर पढ़ें....चलिए आपको बता ही देते हैं सरल भाषा में ये क्या कहती है....
* उसकी श्वसन नली में कंजेशन था....
* उसके दोनो फेफड़ों में भी कंजेशन था...
* ह्रदय के दोनो कोष्ठों में रक्त था...
* उसके लिवर में कंजेशन था....
* उसकी किडनी में कंजेशन था...
* स्प्लीन में कंजेशन था...
मतलब कुल जमा ये कि उसकी मौत दम घुटने से हुई...और ये सामान्य बुद्धि है कि कोई भी अपना गला खुद घोंट कर आत्महत्या नहीं कर सकता है....
लेकिन सबसे दर्दनाक सच सामने लाती है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की आखिरी लाइन.....
"उसके गर्भाशय में 10-12 हफ्ते का शिशु भ्रूण था"
बहुत से लोग अब इस पर भी उंगलियां उठाएंगे...नाक भौं सिकोड़ेंगे...क्योंकि समाज की सभ्यता का यही तकाज़ा है....किसी को नहीं बख्शेंगे ये लोग....पर मैं केवल ये जानता हूं कि अगर ये हत्या है तो ये दोहरा हत्याकांड है....
क्या कहूं....जिस धर्म...जाति और ईश्वर की ये समाज दुहाई देता है क्या वाकई उसका कोई अस्तित्व भी है....
क्या ये वही लोग हैं जो साल में दो बार 8 दिनों तक नारी शक्ति की पूजा पाठ कर्मकांड कर के नवें दिन कन्याओं के पैर छूते हैं.
माफ करना नीरू हम तुम्हें बचा नहीं पाए...पर क्या अफसोस करें तुम्हारे जैसी हज़ारों नीरू हम खो चुके हैं...शायद खोते भी रहेंगे....
मेरा पुनर्जन्म में कतई यकीन नहीं है...पर मैं जानता हूं एक और नीरू कहीं और जन्म ले चुकी है...उसकी होनी में क्या लिखा है....हक...या मौत
No comments:
Post a Comment